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Aug 19, 2016

Sri Krishna Bhajan Mera Aapki Kripa Se Sab Kaam Ho Raha Hai

मेरा आपकी कृपा से
मेरा आपकी कृपा से, सब काम हो रहा है।
करते हो तुम कन्हैया, मेरा नाम हो रहा है।।
मेरा आपकी कृपा से...

पतवार के बिना ही, मेरी नाव चल रही है,
हैरान है जमाना, मंजिल भी मिल रही है।
करता नहीं हूँ कुछ भी, सब काम हो रहा है।।
मेरा आपकी कृपा से...

तुम साथ हो जो मेरे, किस बात की कमी है,
किसी और वक्त की अब, दरकार ही नहीं है।
तेरे साथ से गुलाम अब, गुल्फाम हो रहा है।।
मेरा आपकी कृपा से...

मैं तो नहीं हूँ काबिल, तेरा प्यार कैसे  पाऊँ,
टूटी हुई वाणी से, गुणगान कैसे गाऊँ।
तुम्हरी ही प्रेरणा से, ये कमाल हो रहा है।।
मेरा आपकी कृपा से...




Sri Krishna Bhajan Mera Aapaki Kripa Se

mera aapakee kripa se, sab kaam ho raha hai.
karate ho tum kanhaiya, mera naam ho raha hai ..
mera aapakee kripa se ...

patavaar ke bina hee, meri naav chal rahee hai,
hairaan hai jamaana, manjil bhee mil rahee hai.
karata nahin hoon kuchh bhee, sab kaam ho raha hai ..
mera aapakee kripa se ...

tum saath ho jo mere, kis baat kee kamee hai,
kisi aur vakt kee ab, darakaar hee nahin hai.
tere saath se gulaam ab, gulphaam ho raha hai ..
mera aapakee kripa se ...

main to nahin hoon kaabil, tera pyaar kaise paoon,
tootee huee vaanee se, gunagaan kaise gaoon.
tumharee hee prerana se, ye kamaal ho raha hai ..
mera aapakee kripa se ...

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Aug 5, 2016

देशाटन से लाभ


जीवन की वास्तविकता गतिशीलता में निहित है. मनुष्य को अपने जीवन में विकास करने के लिये उसका जीवन उन्मुक्त, स्वच्छंद और बन्धन हीन होना बहुत जरुरी है. उसके मन में नवीन वस्तुओं, दृश्यों और स्थानों के प्रति कौतुहल और जिज्ञासा होनी चाहिए. यही मनोवृत्ति देशाटन करने को प्रेरित करता है.



Deshatan Se Labh Hindi Essay
देशाटन या यात्रा का अर्थ है नए स्थानों, नए नगरों, नयी संस्कृतियों, नयी वेशभूषा, नए रीति रिवाज, प्राकृतिक सौन्दर्य और विविध प्रकार के जीव -जंतुओं  को निकट से देखने, उनकी निकटता का आनंद लेने और ज्ञान वृद्धि. यात्रा करने से मन की संकुचित भावना मिट जाती है. मस्तिष्क को चिंतनशील और क्रियाशील बनाने के लिये यात्रा करना बहुत जरुरी होता है. यात्रा करने से चूँकि वातावरण परिवर्तन हो जाता है, इसलिए मनुष्य के मन और मस्तिष्क में नवीनता आ जाती है. 

यात्रा के पूर्व की तैयारी कैसे करें :  यात्रा पर जाने से पहले कुछ तैयारी कर लेना बहुत जरुरी होता है. मेरा तो मानना है कि सबसे पहले आप जहाँ जा रहे हैं वहां जाने का ट्रेन टिकट या वायुयान का टिकट  का पता कर लें. यदि आपकी यात्रा देश के अन्दर ही करनी है तो आप घरेलू  एयरलाइन से टिकट  का ticket खरीद लें. यदि आप देश से बाहर जाने की सोच रहे हैं तो आपको अन्तराष्ट्रीय एयरलाइन  का ticket लेना पड़ेगा. हमें यदि गंतव्य तक जाने के लिये कोई सहयात्री मिल जाए जो जहाँ हम जा रहे हैं वहां की भाषा से पूर्ण परिचित हो, उसे वहां का रीति-रिवाज अच्छे से पता हो, वहां के ऐतिहासिक और दर्शनीय स्थलों का भी ज्ञान हो. जिस स्थान की यात्रा की जानी है, वहां की जलवायु के बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए और उसी के अनुसार वस्त्र इत्यादि का भी प्रबंध करके जाना चाहिए.

यात्रा ज्ञान का स्रोत : आत्मनिर्भर बनने के लिये यात्रा का बहुत महत्व है. इससे मनुष्य शिक्षा संबंधी ज्ञान प्राप्त करता है. जिन ऐतिहासिक और धार्मिक स्थानों का अध्ययन  केवल पाठ्यपुस्तक में ही किया जाता है, उसका ज्ञान क्षीण होता है. यदि हम उन स्थानों को प्रत्यक्ष देख लेते हैं तो हमारा ज्ञान और भी दृढ हो जाता है. हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, और सारनाथ के भग्नावशेष, अजंता और एलोरा की गुफाएं, बोधगया का मंदिर, आगरे का ताजमहल, दिल्ली का लालकिला आदि का साक्षात दर्शन यात्रा द्वारा ही संभव है. यात्रा करने से अन्य देशों को शासन प्रणाली और सभ्यता का पता चलता है. प्राचीन काल में मेगास्थनीज, फाहियान और ह्वेनसांग जैसे  विदेशी यात्री हमारे देश की यात्रा पर आये. उनकी यात्रा वृत्तांत से हमें काफी कुछ जानकारी मिलती है. कहा गया है कि सर्वश्रेष्ठ शिक्षा अनुभवों से प्राप्त होती है और ये अनुभव हमें यात्रा से प्राप्त होती है.


सचमुच यात्रा या देशाटन से हमारा न केवल मनोरंजन होता है बल्कि हमारा ज्ञान भी समृद्ध होता है और हमारी सोच को व्यापकता मिलती है.