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Jul 14, 2015

ताजगी और स्फूर्ति देते ये विडियो

ऐसा कई बार होता है कि जब आप थके हों या किसी और वजह से आप उदास हों, और आपको आपका मनपसंद विडियो या गाना देखने या सुनने को मिल जाय तो मन फ्रेश हो जाता है, ताजगी से भर जाता है. यहाँ पर अल्लू अर्जुन और अनुष्का मनचंदा के विडियो का लिंक दिया जा रहा है. यह विडियो ऊर्जा से भरपूर है. इसको देखने के बाद मन में ऊर्जा का संचार हो जाता है और दिल झुमने लगता है. जरुर देखे इस विडियो को : 

  
मैं यहाँ पर इसके अलावा कुछ और विडियो का लिंक embed कर रही हूँ. ये सारे विडियो मुझे बहुत पसंद हैं. उम्मीद करती हूँ आप सबको भी पसंद आयेगी. 
1. फिल्म एक विलेन का यह गाना ताजगी का एक एहसास लिए आता है और दिल को छूकर निकाल जाता है. अंकित तिवारी की आवाज बिलकुल फ्रेश है.



2. इस गीत का बोल तो “गन्दी बात” है लेकिन जब सोनाक्षी और शाहिद की जोड़ी इस गाने पर नाचते हैं तो बरबस आप भी नाचने लगते हैं, यही तो संगीत का जादू है जो पैरों में जोश ला देता है.



3. हम फिल्म का यह गाना यू तो नब्बे के दशक का है लेकिन आज भी इसका प्रभाव काम नहीं हुआ है. जुम्मा चुम्मा दे दे खासकर यंग लोगों को ताजगी और रोमांस से लवरेज कर देता है.


4.  आप किसी भी शादी विवाह के फंक्शन में चले जाइए, हर जगह लन्दन ठुमकदा गाना जरुर बजाया जाता है. वहां का सारा माहौल जोश और ताजगी से भर जाता है. 



5. यह गाना तूने मारी एंट्री यार बजते ही सच में दिल में घंटी बजने लगती हैं. कहते हैं कि संगीत सिर्फ ताजगी ही नहीं देती, उससे निकलने वाली तरंगें मन में ऊर्जा का संचार कर देती हैं. 




6. चेन्नई एक्सप्रेस का नाम आते ही लुंगी डांस की याद आ जाती है. इस गीत में freshness है, energy हैं और entertainment है. 





7. जब अनार कली डिस्को चली का विडियो देखते ही मन झुमने लगता है. यह मेरा पसंदीदा गीत है. इसके स्टेप्स मुझे बहुत अच्छे लगते हैं.


8. ABCD 2 का यह गाना सुन साथिया मन को सुकून देता है. श्रद्धा कपूर और वरुण धवन का डांस मुझे बहुत अच्छा लगा.




9. देश प्रेमी 1982 का यह गाना खातून की खिदमत में सलाम अपुन का मेरा प्रिय विडियो है. हेमा मालिनी और अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया यह विडियो मन को ताजगी से भर देता है. डांस का स्टाइल देशी जरुर है लेकिन उसमे जो energy लेवल है उसका कोई मुकाबला नहीं है. 




इन गीतों का विडियो मैं बार बार देखती हूँ और इसका आनंद लेती हूँ. संगीत का विडियो दृश्य और श्रव्य यानि देखकर और सुनकर दोनों तरह से दिल को सुकून देता है. धन्यवाद!

       The blog post should contain the mandatory code “I am blogging for #MaxFreshMove activity at BlogAdda in association with Colgate MaxFresh

Jul 12, 2015

तेल मालिश सही पोषण के लिए बहुत जरुरी!

नवजात शिशु खिले हुए फूल की तरह होते हैं. उनकी मासूमियत, उनकी नन्हे - नन्हे हाथ पैर, उनकी कोमल त्वचा देखकर उपरवाले के करिश्मे के सामने सिर अपनेआप झुक जाता है. लेकिन धरती पर  आने के बाद से लेकर कुछ वर्षों तक उनकी देखभाल अच्छी तरह से करनी पड़ती है. जब मेरी बिटिया हुई तो मुझे बच्चों को किस तरह से रखा जाय, के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं था. लेकिन घर में  बड़े बुजुर्गों का इन सब के बारे में सहयोग और परामर्श आपको सब कुछ सिखा देता है. नवजात शिशु की विशेष देखभाल करनी पड़ती है. इस पोस्ट में विशेष रूप से बच्चों के मालिश के बारे में बात करना चाहूंगी. 



छोटे बच्चों का नियमित मालिश बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरुरी ही नहीं अति आवश्यक  होता है. नवजात शिशु चूँकि किसी तरह का कोई शारीरिक गतिविधि नहीं करता है, बल्कि वह अठारह से बीस घंटे तक सोता रहता है. जब ऐसे नवजात सोकर उठते हैं तो उनके शरीर की मालिश की जाती है. वजह यह है कि ज्यादा देर तक सोने की वजह से उनके शरीर में दर्द होने लगता है या थकान हो जाती है. दूसरे नवजात सिर्फ माँ के दूध पर आश्रित होते हैं इसलिए उनका पाचन भी सही तरीके से होता है. मालिश करने से बच्चों के शरीर का बाहरी भाग यानि त्वचा भी वातावरण के प्रभाव से बच्चों को बचाता है और धीरे धीरे बच्चे का शरीर पर्यावरण के अनुकूल होता जाता है. अब सवाल यह उठता है कि किस तेल से बच्चों की मालिश की जाय. ग्रामीण इलाके में लोग  सरसों का तेल बच्चों की मालिश के लिए प्रयोग करते हैं. लेकिन इस मामले में डाबर लाल तेल का प्रयोग भी अधिकतर लोग करते हैं. डाबर का लाल तेल का प्रयोग मैं भी अपनी बिटिया की मालिश में करती थी. लाल तेल बच्चों के शरीर के लिए बहुत अनुकूल होता है और इससे बच्चों के त्वचा की कांति बनी रहती है और वातावरण का उसके शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव से बचाता है. जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं और कुछ कुछ शारीरीक गतिविधि करने लगते हैं तो उनके मालिश करने की संख्या भी काम होने लगती हैं. यदि एक ३ महीने के बच्चे की मालिश छह से आठ बार की जाती है तो  दो साल के बच्चों की दो बार मालिश अमूमन की जाती है.
इसलिए मालिश बच्चों के विकास और पोषण के लिए बहुत जरुरी होता है लेकिन ध्यान रहे बच्चों की मालिश वैसे तेल से करे जो शुद्ध हो, नेचुरल हो, और किसी भी तरह के केमिकल रहित हो, नहीं तो वह बच्चों के जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. आजकल तो डाबर का मालिश तेल ओलिव और बादाम जैसे गुणकारी तत्वों से भरपूर है जो बच्चों का समुचित पोषण करते हैं और उनकी किलकारी को हमेशा बनाये रखते हैं.


“I am participating in the #FirstLove activity at BlogAdda in association withDabur.

Jul 9, 2015

शहद – एक प्राकृतिक मिठास स्रोत

शहद भी मीठा, चीनी भी मीठा. फिर दोनों में क्या अंतर है? कहने को तो दोनों मीठा होता है लेकिन दोनों में बहुत ही व्यापक अंतर है. शहद चीनी की तुलना में स्वास्थ्य के लिए अधिक अनुकूल है. चीनी में सिर्फ ग्लूकोज  होता है जबकि शहद में ग्लूकोज , फ्रूकटोज, स्टार्च फाइबर, विटामिन एवं अन्य खनिज तत्व भी पाए जाते हैं. Honey Diet हमारे भोजन को संतुलित बनाता है. Honey is an essential component to make our food balanced.  आखिर शहद में वह क्या खासियत है जिसकी वजह से इसे हमें अपने भोजन अंग बनाना चाहिए.



शहद त्वचा को कांति प्रदान करता है. यह एक एंटीऑक्सीडेंट है. एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर के प्रतिरोधी क्षमता को बढाता है.  
गरमी में तरबूज और शहद को मिलकर जूस का सेवन किया जा सकता है. एक चौथाई भाग तरबूज लें. उसका बीज निकालकर मिक्सी में पीस लें. पुदीना के कुछ पत्ते मिला दें. अदरक भी मिला सकते हैं. शहद मिलाकर उसे इस्तेमाल करें.
शहद और नीबू के रस को बराबर भाग में मिला लें. दिन में दो बार,  20 मिनट तक अपने चेहरे या त्वचा पर लगाकर रखें. इससे चेहरे पर काले रंग के निशान दूर हो जाता है. 
शहद के प्रयोग का प्रमाण 4000 साल पुराना है. मेसोपोटामिया की सभ्यता में शहद के मिलने का प्रमाण है. हिन्दू पूजा पाठ में शहद का प्रयोग अनिवार्य रूपा से किया जाता है. चीनी तुलना में शहद का शर्करा स्तर (GI Index ) कम होता है. शहद का उत्पादन चूँकि honeybees द्वारा परागण क्रिया द्वारा किया जाता है इसलिए इसमें मिलावट की कोई सम्भावना नहीं रहती. अगर अच्छे ब्रांड का शहद लिया जाय तो उसका उपयोग हमारे भोजन को सम्पूर्ण बना देता है. 
यदि किसी को अपच की समस्या है तो उसे यह नुस्खा अपनाना चाहिए. अदरक के छोटे छोटे टुकड़े  करें. अदरक को काटने से पहले उसके छिलके उतार लें. अब उन टुकड़ों को एक कांच के बोतल में रखे शहद में डुबाकर रख दें. कांच के बोतल के मुंह को कपडा से बांधकर 12 -15 दिन धुप में सुखाएं. सुबह शाम 2 -4 टुकड़ों के सेवन करने से अपच की बीमारी ठीक हो जाती है. 
शहद का एक अन्य प्रयोग जो कि ठण्ड के दिनों में होनेवाली एलर्जी में बहुत उपयोगी है. नीम की पत्तियों को पीसकर गोली बना लें. अब उस गोली को सुबह सुबह शहद में डुबोकर खाली पेट खाएं. इसे लेने के एक घंटे बाद तक कुछ भी नहीं लें. यह ठण्ड में होनेवाली एलर्जी में बहुत उपयोगी है. 
कहा गया है शहद एक गुण अनेक.  आयुर्वेद और सिद्ध  पद्धति में शहद को एक महत्वपूर्ण घटक माना  जाता है. इसलिए सबसे बेहतर विकल्प है कि आप इसे अपने दैनिक आहार का हिस्सा बनायें. इस प्रकार शहद के दैनिक और लगातार सेवन से शरीर को निरंतर ऊर्जा मिलती रहेगी. शरीर निरोग होगा. पाचन तंत्र मजबूत होगा. आलस्य दूर होगा, काम करने में मन लगेगा. तनाव मुक्त रहकर आप अपने परिवार की देखभाल अच्छी तरह से कर पाएंगे. इसलिए शहद का सेवन नियमित करें और निरोग रहें. धन्यवाद!

यू सी ब्राउज़र से इन्टरनेट पर तेजी से सर्च करें



जब हम ब्राउज़र की बात करते हैं तो हमारे मन में एक ही विचार आता है कि ब्राउज़र इतना तेज चले कि कोई भी वेबसाइट झट से खुल जाये और अपना काम तुरंत हो जाए. खास तौर पर जब हम मोबाइल पर इन्टरनेट सर्फिंग करते हैं या टैब पर किसी वेबसाइट को खोलना चाहते हैं. जब मनचाहा साईट जल्दी से नहीं खुलता है तो अन्दर ही अन्दर कोसते हैं उस ब्राउज़र को. वेबसाइट या फेसबुक या अन्य साईट के नहीं खुलने से बहुत परेशानी भी होती है. सही समय पर सन्देश नहीं पहुँच पाता. कई बार आप क्रिकेट का लाइव स्कोर देखना चाहते हैं कि ब्राउज़र का गोल चक्का गोल गोल घुमने लगता है और घूमता ही जाता है. उस समय क्या सोचते हैं आप, तनिक सोचिये. लेकिन अब आपकी इन समस्याओं का समाधान मिल गया है. मैं तो यक़ीनन ऐसी स्थिति में UC Browser का ही इस्तेमाल करूंगी. 
जाहिर सी बात है हर कोई फ़ास्ट ब्राउज़िंग चाहता है. व्यर्थ में अपना समय क्यों गवाएं. मुझे लगता है कि मेरे पोस्ट को पढने से पहले आप इस विडियो को जरुर देखें. 




UC Browser के प्रोडक्ट कंसलटेंट मशहूर क्रिकेटर युवराज सिंह हैं. इस विज्ञापन में एक क्रिकेट फेन क्रिकेट का लाइव अपडेट देखना चाहता है लेकिन ब्राउज़र का गोल चक्का घूमता ही जाता है. दूसरे  विज्ञापन में चोर भी ब्राउज़र की गति को देख और क्रिकेट अपडेट देखने के लिए चोरी करना भूल जाता है.  महादेव को भी कैलाश पर्वत पर ब्राउज़िंग में दिक्कत आती है. भला हो युवराज रूपी नारद का जो पूरे जगत का हाल चाल मालूम रखते हैं और भोले नाथ को भी UC Browser  प्रयोग करने का सलाह देते हैं. मुथ्थु वाले विज्ञापन में मुथ्थु अपने restaurant के लिए रेसिपी डाउनलोड नहीं कर पाता है. UC अन्ना आते हैं उसका काम बनाते हैं, UC Browser इनस्टॉल करवाते हैं.
सचमुच UC Browser अपने नए अवतार में आया है यंग है, फ्रेश है, युवा अपील है, क्रिकेट है, अपडेट है, कमेंटरी है, कमेंट्स करने का आप्शन है.  इसलिए यू सी अन्ना की  बात मानो और UC Browser का इस्तेमाल करो. Surf it All! Surf  it  fast! 
एक विशेष बात क्रिकेट को चाहने वाले लोगों के लिए. इस ब्राउज़र में UC Cricket का जोन है जो मुख्या रूप से क्रिकेट के लिए बनाया गया है. भारत में क्रिकेट का बुखार जब लोगों पर चढ़ता  है तो वे क्रिकेट देखने के लिए क्या से क्या कर देते हैं. कोई पेड़ पर चढ़कर मैच देखता है, तो कोई पानी की टंकी पर चढकर देखता है. कोई स्कूल से भागकर किसी दुकान के आगे खड़ा होकर मैच देखता है तो कोई रेडियो कमेन्ट्री सुनकर काम चलाता है. लेकिन अब समय बदल चुका  है. आपके पास UC Cricket है जब चाहो इसको ब्राउज कर क्रिकेट का बाल- दर- बाल अपडेट लेते रहो. किसी भी आगामी मैच की सूचना  ब्राउज़र आपको मैच शुरू होने से कुछ मिनट पहले ही भेज देगा, मिस करने का कोई चांस नहीं है. मैं तो इस ब्राउज़र का इस्तेमाल इसलिए करुँगी क्योंकि यह तेज है, इजी टू यूज़ है, और लेटेस्ट है. आप भी एक बार जरुर ब्राउज करके देखना. धन्यवाद!

Jul 8, 2015

खुल जाए बचपन ख़ुशी के पल

कहा गया है बचपन हर गम से बेगाना होता है. बच्चे मन के सच्चे होते हैं. लेकिन क्या आपको पता है बच्चों का पालन पोषण किस तरह से किया जाना चाहिए. अंग्रेजी का एक शब्द है – Buddy Parenting. आखिर ये buddy parenting क्या है? बच्चों को अपना दोस्त मानकर जब उसका पालन पोषण किया जाता है तो उसे buddy यानि मित्रवत माना जाता है. 
जब बच्चे यह जान जाते हैं कि मेरे माता –पिता मुझसे मित्रवत व्यवहार करते हैं तो वह पूरी तरह से खुल जाते हैं और उनका बचपन पूरी तरह से खिल जाता है. हमारे सामने बहुत ऐसे ख़ुशी के पल आते हैं जो हमें अपने बच्चे देते हैं. ज्यादातर माता पिता अपने बच्चों को छोटा और अवोध समझकर उनकी तरफ ध्यान नहीं देते हैं. मैं यहाँ एक दो किस्से का जिक्र करना चाहूँगा जहाँ मैंने अपने बच्चों से सीखा है. आजकल के बच्चे electronic गैजेट्स  को use करने माहिर हैं. खासकर मोबाइल को हैंडल करने में. जब मुझे मोबाइल का function समझने में दिक्कत आती है तो मेरा बेटा झट से उसे कर देता है. 



सवाल यह उठता है कि बच्चे कब पूरी तरह से खुल जाते हैं? जब उन्हें लगता है कि उनकी बात को अच्छी तरह से सुना जा रहा है. इसके लिए माता पिता को एक अच्छा listener बनना पड़ता है. यदि आप अपने बच्चे का नैसर्गिक विकास चाहते हैं तो बच्चों के क्रिएटिविटी को nourish करना होगा. अपने बच्चों पर अपने आदेश मत थोपिए. उन्हें समझने कोशिश कीजिये. उनके साथ अपनी बातों को शेयर कीजिये. जब मैं कभी बीमार होती हूँ मेरे बच्चे मेरी न सिर्फ देखभाल करते हैं बल्कि वे वह सब करते हैं जो हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा. एक बार मैं बीमार थी, तीन चार दिन हो गए थे. काफी कमजोरी हो गयी थी. डॉक्टर ने कहा – अगर हीमोग्लोबिन काम हो जायेगा तो ब्लड भी  चढ़ाना पर सकता है. बच्चों ने यह बात सुन ली. मेरा बेटा जो दस साल का है, डॉक्टर के पास जाकर बोला डॉक्टर अंकल. आप मेरे ब्लड मम्मी को चढ़ा दीजिये. मैंने टीवी में देखा है कि बेटा का खून मम्मी के खून से मिल जाता है. हम लोग उसकी इन बातों को सुन हैरान हो गए. डॉक्टर ने कहा – नहीं बेटे! आपकी मम्मी को आपके खून की जरुरत नहीं पड़ेगी. वे दवाई से ही ठीक हो जायेंगी. इस तरह के कई ऐसे उदहारण आते हैं जहाँ बच्चे बड़ों से भी आगे निकल जाते हैं. बचपन में बच्चों की तोतली बातें मन को मुग्ध कर देती हैं. आज सूर्य वंशम वाले रोबदार पिता की कोई जरुरत नहीं है जिसे देखकर बच्चों के मुंह से जवान गायब हो जाए. ऐसे भी कहा गया है कि बच्चों को पांच साल तक लाड़ प्यार देना चाहिए, दस साल तक विशेष देखभाल करनी चाहिए और जैसे ही बच्चे सोलह साल के हो जाएँ उनको मित्रवत देखना चाहिए. ख़ुशी के पल तभी आयेंगे, जब खुल जायेगा बचपन, बचपन तभी खुल पायेगा, जब बच्चो के साथ होगा मित्रवत आचरण. 

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Jul 4, 2015

आस

आस लगाये 
तेरे दर पे आया 
मुरलीवाला