इस पोस्ट को लिखने के पहले मैं एक सच्ची घटना का जिक्र करना चाहूंगी. बेगुसराय जिला के तेघरा में एक खाद व्यवसायी एक गरीब परिवार की लड़की के साथ उसके घर में घुसकर छेड़खानी करता है. उस लड़की ने इसकी जानकारी अपने परिवार के लोगों को दिया. उनके परिवार के लोगों ने यह बात वहां के स्थानीय मीडियाकर्मियों को दिया. इसकी रिपोर्टिंग की गयी. इस बात की जानकारी वहां के लोगों को मिली. लोगों ने इसके खिलाफ आवाज उठानी शुरू की. लोग इस मामले के खिलाफ गोलबंद हुए. बार बार इसकी खबर मीडिया ने छापा. इसकी खबर महिला आयोग की सदस्या को चला. उन्होंने इस मामले के खिलाफ़ बोली और पीडिता से मिलने उसके घर तक गयीं. पुलिस पर दबाब बना. वहां के राजनितिक दलों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इसको सोशल मीडिया पर भी प्रचारित किया गया. स्कूल के छात्रों ने भी इसके खिलाफ प्रदर्शन किया. स्कूल के सभी छात्र छात्रों ने जुलुस निकालकर इस घटना का विरोध किया.
इस घटना की रिपोर्टिंग पढने के लिए यहाँ क्लिक करें : लिंक 1 लिंक 2
अब सवाल यह उठता है कि वे कौन सी तीन बातें हैं जो इस घटना से निकलकर बाहर आती हैं.
1. सबसे पहली बात उस पीडिता लड़की और उसके परिवार जन जिन्होंने इसकी सूचना मीडियाकर्मियों को दिया. यह सच है कि लोग अपने परिवार की इज्जत और मान मर्यादा के लिए मामले को दबा देते हैं; जो कि गलत है. ऐसा करने से उस खाद व्यापारी जैसे पैसे वाले और मनचले लोगों का मन बढता जाता है और वे एक के बाद दूसरी घटना कर देते हैं. यह सच है कि इस तरह की १०० घटनाओं में से सिर्फ एक मामला ही प्रकाश में आता है. अतः मामले को दबाना मामले की घटना को बढ़ावा देना है.
2. दूसरे, कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि पैसेवाले और पावरफुल लोग अपनी ताकत से मीडियाकर्मियों को खरीद लेते हैं, लेकिन हर बार और हर व्यक्ति एक जैसा नहीं होता है. आज तो कई खुला मंच है जहाँ कोई भी अपनी बात रख सकता है. फेसबुक, ट्विटर द्वारा भी अपनी बातें रखी जा सकती हैं.
3. बहुत से ऐसे संगठन हैं जिनको इसकी घटना की जानकारी दी जा सकती है. जैसे मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग, जिला कलेक्टर, आदि. बहुत सारे NGO भी हैं जो इस क्षेत्र में कार्य करते हैं. आप इसकी सूचना उन्हें दे सकते हैं.
इसलिए चुप न रहें, अपने अधिकार को जानें, #KnowYourRights , जागरूक बनें. अपनी डायरी में NGO, महिला आयोग और मानवाधिकार आयोग के स्थानीय अधिकारियों का फ़ोन नंबर ईमेल पता रखें ताकि जरुरत पड़ने पर उनसे संपर्क किया जा सके.
विशेष रूप से मीडियाकर्मियों से अपील है कि इस तरह के मामलों की रिपोर्टिंग करें ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके.
“I’m writing this blog post to support Amnesty International’s#KnowYourRights campaign at BlogAdda. You can also contribute to the cause by donating or spreading the word.”