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Aug 30, 2013

श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मेला, तेघड़ा


 तेघड़ा में होनेवाला श्रीकृष्ण जन्मोत्सव  मेला बिहार का सबसे बड़ा जन्मष्टमी का मेला है. श्री कृष्ण की जन्मभूमि  मथुरा - वृन्दावन के बाद यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा  श्रीकृष्ण जन्मोत्सव  मेला  है.  तेघड़ा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का मेला कई मायने  में ऐतिहासिक है. वर्ष 2013 में यह मेल अपने 85 वर्ष पूरा कर चुका है. योगराज  भगवान श्रीकृष्ण का मेला तेघड़ा में प्रतिवर्ष  धूमधाम से मनाया जा रहा है.
इस मेले का भी गौरवमयी इतिहास रहा है. तेघड़ा में कृष्ण भक्त इस मेला में अति उत्साहित होते हैं, जिससे आस पास भक्तिमय माहौल उत्पन्न हो गया है.

  • 1927 में आई  थी तेघड़ा में भयंकर महामारी
1927 ई. में तेघड़ा में प्लेग की बीमारी, महामारी के रूप में फैल गई थी. काफी लोग प्लेग की बीमारी में मारे गए थे. महामारी के कारण तेघड़ा वासी बाजार छोड़ कर गांव में बसना शुरू कर दिये थे.

  • महामारी से बचने को लोगों ने काफी किया उपाय
प्लेग की उस महामारी से बचने के लिए तेघड़ा के लोगों ने कई यज्ञ एवं अनुष्ठान किये। टोने-टोटके किए. फिर भी कोई निदान नहीं निकला.

  • चैतन्य महाप्रभु की कीर्तन मंडली ने दी सलाह
1927 ई. के 28 फरवरी को भारत भ्रमण के दौरान चैतन्य महाप्रभु की कीर्तन मंडली तेघड़ा पहुंची थी. यहां के लोगों की स्थिति देख कर उन्होंने श्रीकृष्ण भगवान का जन्मोत्सव जन्माष्टमी के मौके पर मनाने की सलाह दी थी.

  • 1928 में पहली बार स्व. वंशी पोद्दार की अगुवाई में मनाया जन्मोत्सव
चैतन्य महाप्रभु के कीर्तन मंडली की सलाह पर सर्वप्रथम 1928 ई. में स्टेशन शेड में स्व. वंशी पोद्दार, विश्वेश्वर लाल, लखन साह के नेतृत्व में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया. तब जाकर तेघड़ा में लोगों को प्लेग से निजात मिली.

  • 1929 में दो जगह मूर्ति स्थापित हुआ
1929 में स्व. सूर्य नारायण पोद्दार 'हाकिम,' नूनू पोद्दार, हरिलाल सहित अन्य के नेतृत्व में मेन रोड में मुख्य मंडप में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया. यह सिलसिला करीब तीन दशकों चला.

  • वक्त के साथ मेला का आकार  भी बढ़ता चला गया
समय के साथ तेघड़ा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के मेला में मंडपों की संख्या भी बढ़ती चली गयी. स्व.लखी साह, स्व. रामेश्वर साह, हरिलाल मखड़िया के नेतृत्व में पूर्वी क्षेत्र में मनाया जाने लगा. 1982 में डा. कृष्णनारायण पोद्दार, कारीलाल साह सहित अन्य के नेतृत्व में मनाया जाने लगा. इसके पूर्व 1980 में चैती दुर्गा स्थान 1990 के दशक में प्रखंड कार्यालय परिसर में भी मनाया जाने लगा. 2000  के दशक में यह मेल स्टेशन रोड से आगे बढ़ता हुआ नए ब्लॉक कार्यालय की तरफ भी फ़ैल गया. धीरे-धीरे तेघड़ा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का मेला वृहद रूप धारण करने लगा. वर्तमान में यह लगभग सात किलोमीटर के क्षेत्र में 14 मंडपों में मेला लगाया जाने लगा. मेले में मनोरंजन की भरपूर व्यवस्था होती है. मेले में पांच जगहों पर विभिन्न प्रकार के झूले लगाये जाते  हैं. थियेटर और सर्कस वाले भी   इस मेला में लोगों का मनोरंजन करने आते हैं. कृष्ण भक्तों के लिए यह एक बार अवश्य दर्शनीय मेला है.

Aug 27, 2013

Happy Janmashtmi 2013

I wish Happy Janmsahtmi  to all the readers of 

dularpurdarshan.blogspot.com.

May Lord Krishna bring happiness and joy in your life.


Aug 13, 2013

Happy Independence Day 2013

सभी पाठकों को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुमकामनाएँ