दुलारपुर गाँव के विभिन्न पंचायतों का गठन
स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व हमारे राजनेताओं ने यह संकल्प लिया था कि जब हमें आजादी मिलेगी , हमारी अपनी संपभुता होगी तो गाँवों में हम पंचायती राज का गठन करेंगे, जो पंचायत प्रणाली हमें अपनी पूर्वजों से विरासत के रूप में मिली है। चूँकि भारत की आत्मा गाँव में बसती है। इसी आलोक में 10 दिसम्बर 1950 को गाँव के प्रमुख व्यक्तियों, क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानी एवं तत्कालीन काँगेसी नेताओं ने आधारपुर में ऐतिहासिक अशोक वृक्ष की छाँव तले एक आम सभा के द्वारा आधारपुर नाम से ही एक गैर सरकारी पंचायत का गठन किया था। उस बैठक में प्रमुख लोगों में तारणी प्र. सिंह (बजलपुरा), मौजी कुंवर (अयोध्या), बलदेव सिंह (बीहट) तथा रामरक्षा शर्मा ( मधुरापुर ) शामिल थे, जिसमें सर्वसम्मति से क्रमशः श्री रामफल सिंह ( मुखिया ) तथा श्री देवनायण सिंह (सरपंच) चुने गये।
तत्पश्चात् 10 अप्रल 1952 को बिहार सरकार के तत्कालीन स्वायत्त शासन विभाग द्वारा बिहार गजट में पंचायत गठन की विधिवत सूचना हुई तथा अगस्त 1952 में सरकार की देखरेख में पुनः रामफल सिंह (मुखिया) एवं देवनारायण सिंह (सरपंच) निर्वाचित हुए जिसकी अधिसूचना राज्यपाल द्वारा की गई। दुर्भाग्य से मात्रा छह महीने बाद 1953 में रामफल सिंह की मृत्यु हो गई। उसके बाद उपनिर्वाचन द्वारा उन्हीं के मंझौले भाई रामपदारथ सिंह (निरसू सिंह के पिताजी) निर्विरोध् मुखिया निर्वाचित हो गये। उस समय दुलारपुर की अधिकांश आबादी का निवास स्थान दियारा में ही था। राम पदारथ सिंह ने 1955 में कार्य अवधि पूरा होने से चार महीना पहले ही इस्तीफा दे दिया था। पुनः 1955 में ही निर्वाचन हुआ, जिसमें देवनारायण सिंह (मुखिया) एवं उपेन्द्र कुँवर सरपंच चुने गये। ऐसे पहले उपेन्द्र कुँवर के बड़े भ्राता राम लगन कुँवर को मुखिया बनने की पेशकश की गई थी, परन्तु वे तैयार नहीं हुए। पुनः 22 मार्च 1961 को चुनाव हुआ जिसमें देवनारायण (मुखिया) एवं उपेन्द्र कुँवर चुनाव जीते। 9 वर्षों के बाद 9 फरवरी 1970 को पंचायत का निर्विरोध् चुनाव सम्पन्न हुआ जिसमें रामचन्द्र कुँवर (मुखिया) एवं राजेन्द्र सिंह (विधायक )सरपंच बने। 1978-79 वित्तीय वर्ष में पंचायत में जनसंख्या वृदधि के कारण तत्कालीन आधारपुर पंचायत को दो भागों में विभक्त कर क्रमशः (नयानगर)दुलारपुर पंचायत एवं आधारपुर पंचायत का गठन हुआ। पंचायत विभाजन रामनरेश सिंह (भूतपूर्व ग्राम पंचायत पर्यवेक्षक) के भगीरथ प्रयास से ही संभव हो सका। नवगठित पंचायत का चुनाव 3 जून 1979 को सम्पन्न हुआ जिसमें चुनाव काफी संघर्षपूर्ण हुआ। इसमें राजेन्द्र सिंह (मुखिया) एवं बबन सिंह सरपंच (नयानगर) दुलारपुर पंचायत के लिए तथा रामचन्द्र कुँवर (मुखिया) एवं भूपेन्द्र बिहारी मिश्र सरपंच आधारपुर पंचायत के लिये चुने गये। ऐसे दुलारपुर गांव पाँच पंचायत में है। इसका तोखनसिंह टोला एवं वाजितपुर का कुछ भाग पिढौली पंचायत, वाजितपुर का शेष भाग एवं दुलारपुर मठ का कुछ भाग नवादा पंचायत एवं दुलारपुर के दक्षिण तरफ का टोला रघुनन्दनपुर पंचायत में स्थित है।
लंबे अरसे बाद 21वीं सदी में पुनः मुखिया चुनाव हुआ जिसमें सुनील कुमार सिंह भुल्लू मुखिया निर्वाचित हुए। लेकिन 2006 के पंचायत चुनाव में श्रीमती रीता देवी मुखिया निर्वाचित हुईं एवं रंजीत कुमार सिंह सरपंच चुने गए। वहीं ताजपुर आधारपुर पंचायत में मोहन सिंह मुखिया पद के लिए निर्वाचित हुए। पुनः 2011 के पंचायत चुनाव में श्रीमती रीता देवी मुखिया निर्वाचित हुईं एवं राकेश कुमार महंथ सरपंच चुने गए। वहीं ताजपुर आधारपुर पंचायत में पटनदेव कुंवर मुखिया और बौधू कुंवर सरपंच पद के लिए निर्वाचित हुए।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व हमारे राजनेताओं ने यह संकल्प लिया था कि जब हमें आजादी मिलेगी , हमारी अपनी संपभुता होगी तो गाँवों में हम पंचायती राज का गठन करेंगे, जो पंचायत प्रणाली हमें अपनी पूर्वजों से विरासत के रूप में मिली है। चूँकि भारत की आत्मा गाँव में बसती है। इसी आलोक में 10 दिसम्बर 1950 को गाँव के प्रमुख व्यक्तियों, क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानी एवं तत्कालीन काँगेसी नेताओं ने आधारपुर में ऐतिहासिक अशोक वृक्ष की छाँव तले एक आम सभा के द्वारा आधारपुर नाम से ही एक गैर सरकारी पंचायत का गठन किया था। उस बैठक में प्रमुख लोगों में तारणी प्र. सिंह (बजलपुरा), मौजी कुंवर (अयोध्या), बलदेव सिंह (बीहट) तथा रामरक्षा शर्मा ( मधुरापुर ) शामिल थे, जिसमें सर्वसम्मति से क्रमशः श्री रामफल सिंह ( मुखिया ) तथा श्री देवनायण सिंह (सरपंच) चुने गये।
तत्पश्चात् 10 अप्रल 1952 को बिहार सरकार के तत्कालीन स्वायत्त शासन विभाग द्वारा बिहार गजट में पंचायत गठन की विधिवत सूचना हुई तथा अगस्त 1952 में सरकार की देखरेख में पुनः रामफल सिंह (मुखिया) एवं देवनारायण सिंह (सरपंच) निर्वाचित हुए जिसकी अधिसूचना राज्यपाल द्वारा की गई। दुर्भाग्य से मात्रा छह महीने बाद 1953 में रामफल सिंह की मृत्यु हो गई। उसके बाद उपनिर्वाचन द्वारा उन्हीं के मंझौले भाई रामपदारथ सिंह (निरसू सिंह के पिताजी) निर्विरोध् मुखिया निर्वाचित हो गये। उस समय दुलारपुर की अधिकांश आबादी का निवास स्थान दियारा में ही था। राम पदारथ सिंह ने 1955 में कार्य अवधि पूरा होने से चार महीना पहले ही इस्तीफा दे दिया था। पुनः 1955 में ही निर्वाचन हुआ, जिसमें देवनारायण सिंह (मुखिया) एवं उपेन्द्र कुँवर सरपंच चुने गये। ऐसे पहले उपेन्द्र कुँवर के बड़े भ्राता राम लगन कुँवर को मुखिया बनने की पेशकश की गई थी, परन्तु वे तैयार नहीं हुए। पुनः 22 मार्च 1961 को चुनाव हुआ जिसमें देवनारायण (मुखिया) एवं उपेन्द्र कुँवर चुनाव जीते। 9 वर्षों के बाद 9 फरवरी 1970 को पंचायत का निर्विरोध् चुनाव सम्पन्न हुआ जिसमें रामचन्द्र कुँवर (मुखिया) एवं राजेन्द्र सिंह (विधायक )सरपंच बने। 1978-79 वित्तीय वर्ष में पंचायत में जनसंख्या वृदधि के कारण तत्कालीन आधारपुर पंचायत को दो भागों में विभक्त कर क्रमशः (नयानगर)दुलारपुर पंचायत एवं आधारपुर पंचायत का गठन हुआ। पंचायत विभाजन रामनरेश सिंह (भूतपूर्व ग्राम पंचायत पर्यवेक्षक) के भगीरथ प्रयास से ही संभव हो सका। नवगठित पंचायत का चुनाव 3 जून 1979 को सम्पन्न हुआ जिसमें चुनाव काफी संघर्षपूर्ण हुआ। इसमें राजेन्द्र सिंह (मुखिया) एवं बबन सिंह सरपंच (नयानगर) दुलारपुर पंचायत के लिए तथा रामचन्द्र कुँवर (मुखिया) एवं भूपेन्द्र बिहारी मिश्र सरपंच आधारपुर पंचायत के लिये चुने गये। ऐसे दुलारपुर गांव पाँच पंचायत में है। इसका तोखनसिंह टोला एवं वाजितपुर का कुछ भाग पिढौली पंचायत, वाजितपुर का शेष भाग एवं दुलारपुर मठ का कुछ भाग नवादा पंचायत एवं दुलारपुर के दक्षिण तरफ का टोला रघुनन्दनपुर पंचायत में स्थित है।
लंबे अरसे बाद 21वीं सदी में पुनः मुखिया चुनाव हुआ जिसमें सुनील कुमार सिंह भुल्लू मुखिया निर्वाचित हुए। लेकिन 2006 के पंचायत चुनाव में श्रीमती रीता देवी मुखिया निर्वाचित हुईं एवं रंजीत कुमार सिंह सरपंच चुने गए। वहीं ताजपुर आधारपुर पंचायत में मोहन सिंह मुखिया पद के लिए निर्वाचित हुए। पुनः 2011 के पंचायत चुनाव में श्रीमती रीता देवी मुखिया निर्वाचित हुईं एवं राकेश कुमार महंथ सरपंच चुने गए। वहीं ताजपुर आधारपुर पंचायत में पटनदेव कुंवर मुखिया और बौधू कुंवर सरपंच पद के लिए निर्वाचित हुए।