आज के युग को टीवी युग कहा जा सकता है. टीवी ने अपनी पहुँच लगभग हर घर में बना ली है. बच्चा जब इसी कल्चर में पल और बढ़ रहा है, तो उसका असर बालमन पर पड़ना लाजिमी है, टीवी पर दिखाई गयी हिंसा उसे जीवन का सहज अंग सा प्रतीत होने लगती है. यह अनैतिक मूल्यों के साथ हिंसा के प्रभावों को भी ग्रहण करता चलता है.
पहले बच्चों का टीवी के आगे इतना ज्यादा exposure नहीं होता था. उस समय केवल, video games और multiplexes नहीं थे.फिल्मों में इतनी सेक्स और हिंसा नहीं होते थे. सामजिक बनावट और चलन के हिसाब को बच्चों को इन चीजों से दूर रखा जाता था, लेकिन आज स्थिति बिलकुल अलग है. आज किसी भी घर में प्रवेश कीजिये सामने एक बड़ा सा टीवी दिख जाएगा. बहुधा चलता हुआ टीवी और सोफे या कुर्सी में हाथ में रिमोट पकडे एक बच्चा. घर का पूरा माहौल टीवी के प्रभाव में जान पड़ता है. टीवी पर दिखाए गए हिंसापूर्ण और तथाकथित मनोरंजक कार्यक्रमों के दूरगामी परिणाम होते हैं.
वास्तव में ये बच्चों की पूरी सोच पर हावी हो जाते हैं. चूँकि यहाँ अपराध को प्रायः ग्लेमराइज किया जाता है, उसकी आलोचना नहीं की जाती इसलिए बच्चों का भोला मन उसे बुरा नहीं समझ पाता. घर परिवार में अभिभावक के पास इतना वक़्त नहीं होता कि बच्चों को इसके बारे में बता सकें. बच्चे यह मान लेते हैं कि टीवी पर दिखाई जा रही हिंसा हमारे दैनिक जीवन के अंग हैं तो यह उचित ही होगा. इस प्रकार बालक अपना गुरु स्वयं है या फिर टीवी.
ध्यातव्य है कि इस हिंसा का प्रभाव सिर्फ बालक पर ही नहीं लड़कियों पर भी पड़ता है. टीवी लड़कियों में बहादुरी पूर्ण काम करने की प्रेरणा देना चाहता है. कुछ हद तक यह बच्चों को कानून अपने हाथ में लेने को प्रेरित करता है. चलती बस में किसी को पीट देना. मार पीट या लड़ाई कब करनी चाहिए और कब नहीं इसक सही सही निर्णय लेने की परिपक्वता बच्चों में नहीं होती, इस प्रकार टीवी बच्चों को इस तरफ ले जाती है.
अब यहाँ जिम्मेदारी सरकार और परिवार की बनती है कि बच्चों के आगे परोसे जानेवाले टीवी कार्यक्रम को कैसे परखा जाए ताकि बच्चों को हिंसात्मक और अनैतिक प्रोग्राम देखने से रोका जा सके.सरकारों को विश्व स्तर पर कानून बनाकर इसपर नियंत्रण रखना चाहिए. बच्चों को सिर्फ उसी तरह के कार्यक्रम देखने दिया जाय जिससे उनका सकारात्मक मानसिक और शारीरिक विकास संभव हो सके. टीवी पर इस तरह के कार्यक्रम बनानेवालों को थोड़ी परेशानी आयेगी लेकिन समग्र रूप से बच्चों का बहुत भला हो जायेगा.
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