इस पोस्ट में मैं एक ऐसी यादगार घटना का जिक्र करना चाहती हूँ जो मेरे
लिए हमेशा एक यादगार पल रहेगा. बात उन दिनों की है जब मेरी छोटी बहन को बिटिया हुई थी. जब उसका जन्म कुंडली बनाया गया तो पंडित ने एक विशेष पूजा करने को कहा. मेरी बहन अलीगढ के पास रहती है. इसलिए उस पूजा में हमें जाना बहुत जरुरी था. पति को ऑफिस में छुट्टी नहीं मिली. वह भी नहीं आ सकते थे. बच्चों का स्कूल था, उनके एग्जाम आनेवाले थे, इसलिए वे भी नहीं आये. मुझे ही अकेले जाना पड़ा. क्या करती मैं तीन दिन के लिए बहन के यहाँ अलीगढ चली गयी.
पति ने आश्वासन दिया – कोई बात नहीं. तुम जाओ. मैं यहाँ अपने घर में सब सम्हाल लूँगा. जिसपर मुझे शंका थी. यह कैसे कर पायेंगे. क्या करती मैं चली गयी.
बहन के यहाँ बच्ची का नामकरण संस्कार हुआ. बहुत पूजा पाठ हुआ. गृह शांति के लिए पूजा-पाठ, हवन –यजन किया गया. मेरा तीन दिन तो बहन के पड़ोसियों के यहाँ जाने में, यहाँ वहां घुमने में ही बीत गया. जिस दिन मुझे वापस आना था उस दिन रविवार था. पति और बच्चे सभी घर पर ही थे. जब मैं गाड़ी से घर के पास उतरी तो अपने पति और बच्चे को वहां खड़ा पाया. वे मेरी प्रतीक्षा में खड़े थे. जब उनलोगों ने मुझे देखा उनके चेहरे पर ख़ुशी छा गयी. मेरे पति मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे. बच्चे दौड़कर मेरे पास आये और मुझसे इस तरह से लिपट गए मानो मैं उनसे काफी दिनों से अलग थी.
अब हम सब साथ साथ अपने घर गए. घर के अन्दर जाते ही एक सुखद अहसास हुआ. यह मेरा अपना घर –जो मेरे लिए, मेरे पति के लिए और बच्चों के लिए बहुत खास है. जब मैं अपने घर में अपने बच्चों को हँसते-मुस्कुराते देखती और सुनती हूँ – तो मेरे अन्दर एक विशेष अनुभूति का संचार हो जाता है. कहा गया है एक हँसते मुसुराते परिवार के चारो तरफ का परिवेश भी हँसता रहता है. बच्चों की किलकारियों की आवाज जब आस पास के पेड़ पौधों तक पहुँचती है तो वे भी हँसते मुस्कुराते प्रतीत होते हैं. और जब घर में ऐसा वातावरण रहे तो चारों ओर सकारात्मक उर्जा का संचार होता है. लोग सारे दुख दर्द भूलकर वर्तमान में खो जाते हैं. ऐसे में जी चाहता है कि समय की गति यही रुक जाये और यह सुखद अहसास सतत बना रहे. मैं तो मानती हूँ कि जिसे प्यार करने वाला पति और फूल जैसे प्यारे बच्चे मिल जाये उसका घर परिवार रूपी बगिया सदैव हरी-भरी रहती है.
जब मेरे बच्चों ने मुझे कई बार यह कहा कि मम्मा आप तीन दिन बाद आयी हो लेकिन लगता है कि आप कई साल के बाद आयी हो. हमने आपको बहुत मिस किया. मुझे अपने खास का अहसास हुआ. पति ने मुंह से कुछ कहा नहीं लेकिन उनकी आखें भी कह रही थी कि उन्होंने भी मुझे बहुत मिस किया. वह क्षण मुझे आज भी जब याद आती है तो मेरा मन मुस्काने लगता है.
लिए हमेशा एक यादगार पल रहेगा. बात उन दिनों की है जब मेरी छोटी बहन को बिटिया हुई थी. जब उसका जन्म कुंडली बनाया गया तो पंडित ने एक विशेष पूजा करने को कहा. मेरी बहन अलीगढ के पास रहती है. इसलिए उस पूजा में हमें जाना बहुत जरुरी था. पति को ऑफिस में छुट्टी नहीं मिली. वह भी नहीं आ सकते थे. बच्चों का स्कूल था, उनके एग्जाम आनेवाले थे, इसलिए वे भी नहीं आये. मुझे ही अकेले जाना पड़ा. क्या करती मैं तीन दिन के लिए बहन के यहाँ अलीगढ चली गयी.
पति ने आश्वासन दिया – कोई बात नहीं. तुम जाओ. मैं यहाँ अपने घर में सब सम्हाल लूँगा. जिसपर मुझे शंका थी. यह कैसे कर पायेंगे. क्या करती मैं चली गयी.
बहन के यहाँ बच्ची का नामकरण संस्कार हुआ. बहुत पूजा पाठ हुआ. गृह शांति के लिए पूजा-पाठ, हवन –यजन किया गया. मेरा तीन दिन तो बहन के पड़ोसियों के यहाँ जाने में, यहाँ वहां घुमने में ही बीत गया. जिस दिन मुझे वापस आना था उस दिन रविवार था. पति और बच्चे सभी घर पर ही थे. जब मैं गाड़ी से घर के पास उतरी तो अपने पति और बच्चे को वहां खड़ा पाया. वे मेरी प्रतीक्षा में खड़े थे. जब उनलोगों ने मुझे देखा उनके चेहरे पर ख़ुशी छा गयी. मेरे पति मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे. बच्चे दौड़कर मेरे पास आये और मुझसे इस तरह से लिपट गए मानो मैं उनसे काफी दिनों से अलग थी.
अब हम सब साथ साथ अपने घर गए. घर के अन्दर जाते ही एक सुखद अहसास हुआ. यह मेरा अपना घर –जो मेरे लिए, मेरे पति के लिए और बच्चों के लिए बहुत खास है. जब मैं अपने घर में अपने बच्चों को हँसते-मुस्कुराते देखती और सुनती हूँ – तो मेरे अन्दर एक विशेष अनुभूति का संचार हो जाता है. कहा गया है एक हँसते मुसुराते परिवार के चारो तरफ का परिवेश भी हँसता रहता है. बच्चों की किलकारियों की आवाज जब आस पास के पेड़ पौधों तक पहुँचती है तो वे भी हँसते मुस्कुराते प्रतीत होते हैं. और जब घर में ऐसा वातावरण रहे तो चारों ओर सकारात्मक उर्जा का संचार होता है. लोग सारे दुख दर्द भूलकर वर्तमान में खो जाते हैं. ऐसे में जी चाहता है कि समय की गति यही रुक जाये और यह सुखद अहसास सतत बना रहे. मैं तो मानती हूँ कि जिसे प्यार करने वाला पति और फूल जैसे प्यारे बच्चे मिल जाये उसका घर परिवार रूपी बगिया सदैव हरी-भरी रहती है.
जब मेरे बच्चों ने मुझे कई बार यह कहा कि मम्मा आप तीन दिन बाद आयी हो लेकिन लगता है कि आप कई साल के बाद आयी हो. हमने आपको बहुत मिस किया. मुझे अपने खास का अहसास हुआ. पति ने मुंह से कुछ कहा नहीं लेकिन उनकी आखें भी कह रही थी कि उन्होंने भी मुझे बहुत मिस किया. वह क्षण मुझे आज भी जब याद आती है तो मेरा मन मुस्काने लगता है.
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