ख़ुशी मन की एक अवस्था का नाम है. ख़ुशी, क्रोध, घृणा, ईर्ष्या, आदि मन के अनेक भाव होते हैं जो समय परिस्थिति, दशा, आदि अनेक बातों पर निर्भर करते हैं. ख़ुशी के बहुत सारे कारण हो सकते हैं. जब किसी को कामयाबी मिलती है, वह खुश हो जाता है. ज्यादातर लोग अपनी तारीफ सुनकर खुश हो जाते हैं. कुछ लोग नाच देखकर खुश होते हैं तो कुछ लोग अपना मनपसंद खाना खाकर खुश हो जाते हैं. आजकल के युवा विभिन्न पेय पदार्थ जैसे कोकाकोला, आदि पीकर खुश हो जाते हैं. अर्थात खुश होने के हजारों वजह हो सकते हैं.
कहा गया है कि दूसरों को मदद करने के बाद बहुत ख़ुशी मिलती है. यह सत्य है. हाल फिलहाल ही मैंने इस बात को महसूस किया है.
रात के कोई नौ बज रहे थे. मैं मार्किट में थी. रास्ते में मैंने एक बूढ़े –बूढी को खड़ा देखा. वह आते जाते लोगों से कुछ आग्रह कर रहे थे. जब मै भी उनके पास गयी तो उन्होंने मुझसे कहा – बेटी! मैं महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ. मेरे पास पैसे नहीं हैं. मैं जिस ठेकेदार के पास काम करने आया, वह मुझे मिल ही नहीं रहा है. मेरे पास पैसे नहीं हैं. मुझे कुछ पैसे दे दो. बहुत भूख लगी है. पहले तो मैं सुनके थोडा आगे बढ़ गयी. लेकिन चलते चलते मैंने सोचा – कहीं सच में वे दोनों भूखे होंगे तो उनको कितना कष्ट होगा. मैं वापस आयी और अपने पर्स से २०० रूपये उनको दिए. वहां थोडा सा अँधेरा था. एक कार की लाइट में जब उन्होंने २०० रूपये देखे तो उनकी आँखों से आंसू छलक आये. उन्होंने बहुत ही आत्मयिता से मेरे सर पर हाथ रखते हुए मुझे आशीर्वाद दिया कि बेटी तुम सदा सुखी रहो. बात तो यह बहुत ही छोटी सी है, लेकिन जब कभी भी मुझे यह बात याद आती हैं, मेरा मन बहुत खुश हो जाता है. इसलिए यदि आप ख़ुशी चाहते हो तो यथासंभव दूसरों की मदद करो. ख़ुशी या हैप्पीनेस खुद बखुद चलकर आपके पास आयेगी- ऐसा मैं मानती हूँ. लोगों को छोटी छोटी बातों में ख़ुशी ढूंढनी चाहिए. प्रकृति में ऐसी हजारों चीजें हैं जिनका सानिध्य हमारे अंतरतम को खुशियों से भर देता है. किसी बगिया में फूलों के मुस्कान को देखिये, किसी नदी टल पर जाल के प्रवाह को देखिये, गिलहरी को उछलते कूदते देखिये. हंसिये, हंसाइये और ख़ुशी पाइये.
HAPPINESS
प्रस्तुत पोस्ट में मैं इस बात का जिक्र करना चाहती हूँ कि वो कौन सी छोटी छोटी बातें हैं जो मुझे ख़ुशी देती हैं. जब मेरे बनाये गए खाने की तारीफ होती है, मुझे बहुत ख़ुशी होती है. जब कोई मेरे घर आता है और मेरे घर की साफ़ सफाई की तारीफ करता है तो मुझे ख़ुशी होती है. जब मुझे कोई प्रेम पूर्वक कोई काम करने का आग्रह करता है, तो मुझे उस काम को करने में बहुत ख़ुशी मिलती है. मुझे पौधों की देख भाल कर बहुत ख़ुशी मिलती है.कहा गया है कि दूसरों को मदद करने के बाद बहुत ख़ुशी मिलती है. यह सत्य है. हाल फिलहाल ही मैंने इस बात को महसूस किया है.
रात के कोई नौ बज रहे थे. मैं मार्किट में थी. रास्ते में मैंने एक बूढ़े –बूढी को खड़ा देखा. वह आते जाते लोगों से कुछ आग्रह कर रहे थे. जब मै भी उनके पास गयी तो उन्होंने मुझसे कहा – बेटी! मैं महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ. मेरे पास पैसे नहीं हैं. मैं जिस ठेकेदार के पास काम करने आया, वह मुझे मिल ही नहीं रहा है. मेरे पास पैसे नहीं हैं. मुझे कुछ पैसे दे दो. बहुत भूख लगी है. पहले तो मैं सुनके थोडा आगे बढ़ गयी. लेकिन चलते चलते मैंने सोचा – कहीं सच में वे दोनों भूखे होंगे तो उनको कितना कष्ट होगा. मैं वापस आयी और अपने पर्स से २०० रूपये उनको दिए. वहां थोडा सा अँधेरा था. एक कार की लाइट में जब उन्होंने २०० रूपये देखे तो उनकी आँखों से आंसू छलक आये. उन्होंने बहुत ही आत्मयिता से मेरे सर पर हाथ रखते हुए मुझे आशीर्वाद दिया कि बेटी तुम सदा सुखी रहो. बात तो यह बहुत ही छोटी सी है, लेकिन जब कभी भी मुझे यह बात याद आती हैं, मेरा मन बहुत खुश हो जाता है. इसलिए यदि आप ख़ुशी चाहते हो तो यथासंभव दूसरों की मदद करो. ख़ुशी या हैप्पीनेस खुद बखुद चलकर आपके पास आयेगी- ऐसा मैं मानती हूँ. लोगों को छोटी छोटी बातों में ख़ुशी ढूंढनी चाहिए. प्रकृति में ऐसी हजारों चीजें हैं जिनका सानिध्य हमारे अंतरतम को खुशियों से भर देता है. किसी बगिया में फूलों के मुस्कान को देखिये, किसी नदी टल पर जाल के प्रवाह को देखिये, गिलहरी को उछलते कूदते देखिये. हंसिये, हंसाइये और ख़ुशी पाइये.
No comments:
Post a Comment