जीवन की वास्तविकता गतिशीलता में निहित है. मनुष्य को अपने जीवन में विकास करने के लिये उसका जीवन उन्मुक्त, स्वच्छंद और बन्धन हीन होना बहुत जरुरी है. उसके मन में नवीन वस्तुओं, दृश्यों और स्थानों के प्रति कौतुहल और जिज्ञासा होनी चाहिए. यही मनोवृत्ति देशाटन करने को प्रेरित करता है.
Deshatan Se Labh Hindi Essay |
देशाटन या यात्रा का अर्थ है नए स्थानों, नए नगरों, नयी संस्कृतियों, नयी वेशभूषा, नए रीति –रिवाज, प्राकृतिक सौन्दर्य और विविध
प्रकार के जीव -जंतुओं
को
निकट से देखने, उनकी निकटता का आनंद लेने और
ज्ञान वृद्धि. यात्रा करने से मन की संकुचित भावना मिट जाती है. मस्तिष्क को
चिंतनशील और क्रियाशील बनाने के लिये यात्रा करना बहुत जरुरी होता है. यात्रा करने
से चूँकि वातावरण परिवर्तन हो जाता है, इसलिए मनुष्य के मन और मस्तिष्क में नवीनता आ
जाती है.
यात्रा ज्ञान का स्रोत : आत्मनिर्भर बनने के लिये यात्रा का बहुत महत्व है. इससे मनुष्य शिक्षा संबंधी ज्ञान प्राप्त करता है. जिन ऐतिहासिक और धार्मिक स्थानों का अध्ययन केवल पाठ्यपुस्तक में ही किया जाता है, उसका ज्ञान क्षीण होता है. यदि हम उन स्थानों को प्रत्यक्ष देख लेते हैं तो हमारा ज्ञान और भी दृढ हो जाता है. हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, और सारनाथ के भग्नावशेष, अजंता और एलोरा की गुफाएं, बोधगया का मंदिर, आगरे का ताजमहल, दिल्ली का लालकिला आदि का साक्षात दर्शन यात्रा द्वारा ही संभव है. यात्रा करने से अन्य देशों को शासन प्रणाली और सभ्यता का पता चलता है. प्राचीन काल में मेगास्थनीज, फाहियान और ह्वेनसांग जैसे विदेशी यात्री हमारे देश की यात्रा पर आये. उनकी यात्रा वृत्तांत से हमें काफी कुछ जानकारी मिलती है. कहा गया है कि सर्वश्रेष्ठ शिक्षा अनुभवों से प्राप्त होती है और ये अनुभव हमें यात्रा से प्राप्त होती है.
सचमुच यात्रा या देशाटन से हमारा न केवल मनोरंजन होता है बल्कि हमारा ज्ञान भी समृद्ध होता है और हमारी सोच को व्यापकता मिलती है.
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