Pages

Feb 18, 2015

जब अपने 'हक' के लिए धरने पर बैठी दुल्हन


18 फरवरी 2015 बिहार के एक इलाके में 'पकड़ौआ शादी' का प्रचलन रहा है जिसमें लड़के का अपहरण कर उसकी जबरन शादी करा दी जाती है।ऐसा एक मामला बेगूसराय ज़िले के मकदमपुर गांव का है जहां दुल्हन बारात लेकर ससुराल पहुंची और घर के सामने ही धरने पर बैठ गई। बीती शाम मुखिया ने जूस पिलाकर उनका धरना और अनशन समाप्त कराया।

लड़के वाले जहां शादी से ही इनकार कर रहे हैं वहीं लड़की पक्ष का कहना है कि शादी लड़के की मर्जी से हुई थी पर दहेज की मांग पूरी न करने से उन्हें परेशान किया जा रहा है। दरअसल भरौल गांव के महाकांत ईश्वर की बेटी प्रीति कुमारी की शादी पिछले साल अप्रैल में मकदमपुर के धीरज ठाकुर से हुई थी। महाकांत ईश्वर कहते हैं, "शादी के दौरान ही लड़के वाले और दहेज की मांग करने लगे, तू-तू मैं-मैं होते हुए मामला बढ़ गया।"

धीरज और उसके परिवार की ओर से कई प्रयासों के बावजूद बात नहीं हो पाई, लेकिन नाते-रिश्तेदारों के मुताबिक़ मामला पकड़ौआ शादी का है। मंसूरचक थाना प्रभारी सर्वजीत कुमार के मुताबिक़, "लड़के के भाई ने यह प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि धीरज का अपहरण शादी करवाने के उद्देश्य से किया गया है।"

सर्वजीत के अनुसार पुलिस ने धीरज को शादी स्थल से जब बरामद किया तब तक शादी हो चुकी थी। इस बीच अपहरण के आरापों में प्रीति के पिता सहित कुछ अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया।

इस तरह की शादियों में हर पक्ष खुद को सही ठहराता है। लड़की वाले जहां दहेज और सामाजिक परंपरा का हवाला देते हैं वहीं लड़के और उनके परिवार वाले व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बात करते हैं।

तर्क चाहे जो हो पर प्रीति के लिए अब मानो ससुराल में दाखिल होना ही एकमात्र विकल्प है। प्रीति ने बीते साल दिसंबर में पटना जाकर बिहार राज्य महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के बाद आयोग की सदस्या रीना कुमारी ने इस मामले में हस्तक्षेप किया।

रीना कुमारी मानती हैं कि प्रीति और धीरज की 'पकड़ौआ शादी' हुई थी। लेकिन साथ ही वो कहती हैं कि इसमें लड़की की कोई ग़लती नहीं है और पूरी कोशिश है कि प्रीति को उनका हक मिले।

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता और पटना विश्वविद्यालय की प्राध्यापक डेजी नारायण के मुताबिक इस 'मध्ययुगीन परंपरा' की जड़ में दहेज प्रथा है।डेजी कहती हैं, "दहेज ऐसी शादियों का बड़ा कारण है। ऐसी शादियों में लड़की चारों तरफ से घिर जाती है और उस पर कई तरह के अत्याचार होते हैं। लेकिन दहेज जैसी बुराई से बचने के लिए इस तरह के अपराध करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।"

साभार : अमर उजाला

No comments:

Post a Comment