कीर्तन सम्राट विन्देश्वरी बाबू
कीर्तन सम्राट विन्देश्वरी बाबू के जीवन से जुड़ा एक प्रसंग यहाँ आप लोगों के साथ शेयर किया जा रहा है.
एक बार कीर्तन सम्राट विन्देश्वरी बाबू किसी काम से कलकत्ता गए. वहां एक
म्यूजिकल सामान का एक दूकान था, घूमते- घूमते वे उस विशाल दूकान में चले गए
और वहां display किये गए musical instruments को देखने लगे. जैसा कि आप
सबको पता है कि विन्देश्वरी बाबू बड़ी-बड़ी मूछें और बड़े -बड़े बाल रखते थे.
उनके हाथ में एक अनोखे किस्म का वाद्य यंत्र था, जिसे वे उलट- पलट कर देख
रहे थे. तभी वहां एक सेल्समेन आया और बोला – बाबा ये आपके समझ में आनेवाला
नहीं है यह बहुत ही latest साज है. उधर जाओ उस तरफ उधर हारमोनियम और ढोलक
रखा है इसे रख दो. आप कही इसे तोड़ न दो. विन्देश्वरी बाबू मुस्कुराने लगे और
आँख मूंदकर माता सरस्वती का ध्यान किया और आँख खोल कर उस वाद्य यन्त्र के
तारों को इस तरह से छेड़ा कि एक मधुर झंकार निकल पड़ा. आस -पास खड़े दो- चार लोग
और दूकान के कई स्टाफ उनके पास आ गए. तब विन्देश्वरी बाबू ने उसी वाद्य
यन्त्र को बजाकर एक भजन गाया और सारे लोग मंत्र मुग्ध हो गए. उस सेल्समैन
ने उनसे माफ़ी मांगी. वस्तुतः विन्देश्वरी बाबू सरस्वती मां के अनन्य भक्त
थे.
BHAJAN SUNANA CHAHTE HAI
ReplyDeleteHa
DeleteBabu ji ka bhajan kaha milega plzzz link share kijiye
ReplyDeleteYes
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