Comrade Chandrashekhar Singh |
कामरेड
चन्द्रशेखर सिंह का जन्म 26
दिसंबर
1915
को
बेगुसराय जिला के बीहट ग्राम
में एक खाते -पीते
कृषक परिवार में हुआ था.
उनके
पिता स्वर्गीय राम चरित्र
सिंह भूमिहार ब्राह्मण कॉलेज,
मुजफ्फरपुर
में एक demonstrator
थे
लेकिन 1920
में
उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी
से इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रीय
आंदोलन में शामिल हो गए.
वे
कई
बार जेल भी गए.
इस
प्रकार चन्द्रशेखर सिंह ने
बचपन से ही एक राजनीतिक माहौल
अपने घर में ही पाया और उसे
देख -
देख
बड़े हुए.
श्री
चन्द्रशेखर सिंह ने अपनी
स्कूली शिक्षा पटना में प्राप्त
की.
मैट्रिक
की परीक्षा पास करने के बाद
उन्होंने
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
से स्नातक की उपाधि प्राप्त
की.
जब
वे बीएचयू
में पढाई कर रहे थे उसी समय
श्री रुस्तम साटन जो एक वामपंथी
और मार्क्सवादी कार्यकर्ता
थे,
के
संपर्क में आये.
श्री
चन्द्रशेखर सिंह इनके प्रभाव
में आकर प्रगतिशील और वामपंथी
विचारधारा को अपने में आत्मसात
कर लिया.
बीएचयू
से स्नातक होने के बाद वह उच्च
शिक्षा के लिए पटना वापस आ गए.
उन्होंने
अपनी एमए अर्थशास्त्र
की परीक्षा द्वितीय श्रेणी
से उत्तीर्ण की.
जब
वह पटना में अध्ययन कर रहे थे
तो वे प्रो ज्ञानचंद जो एक
समाजवादी थे,
के
संपर्क में आये और उनसे भी
काफी प्रभावित हुए.
चन्द्रशेखर
सिंह छात्र आंदोलन में कूद
पड़े और बिहार प्रांत भर में
एक बहुत सक्रिय नेता बन गए.
वे
एक ओजस्वी वक्ता थे और उनमें
अदभुत सांगठनिक क्षमता थी.
अपनी
एमए परीक्षा उत्तीर्ण करने
के बाद उन्होंने पटना लॉ कॉलेज
में दाखिला लिया और कॉलेज के
छात्रावास में रहने लगे.
अपने
ब्रिटिश विरोधी भाषण और
गतिविधियों के चलते वे सरकार
के लिए भी खतरनाक बन गए थे,
इसलिये
1940
में
छात्रावास से उन्हें गिरफ्तार
कर लिया गया.
उन्हें
हजारीबाग जेल में एक राजनीतिक
कैदी के रूप में रखा गया था.
अब
तक वह एक कम्युनिस्ट बन चुके
थे.
अदभुत
भाषण कला की वजह से उनके भाषण
भीड़ इक्कठी करने लगी.
उन्हें
हर तबके के लोग पसंद करते थे.
1967
में
उन्होंने पहली गैर -
कांग्रेसी
सरकार में एक मंत्री के रूप
में शपथ ली और बिहार में
महत्वपूर्ण विभागों सिंचाई
और उर्जा विभाग के मंत्री बने.
वे
एक बार फिर बाद में गैर -
कांग्रेसी
मंत्रालय में एक मंत्री बने
और उन्हें कृषि विभाग सौंपा
गया था.
उन्होंने
कई बार विदेश का भी दौरा किया.
उनकी
शादी सारण जिले के गोराया कोठी
गाँव में श्री नारायण प्रसाद
सिंह की पुत्री से हुई.
उनके
पत्नी का नाम शकुंतला देवी
था जो बाद में बरौनी विधान सभा
से एम एल ए बनी.
स्वर्गीय
नारायण बाबू भी एक स्वतंत्रता
सेनानी और केन्द्रीय परिषद
के एक सदस्य थे.
श्री
चन्द्रशेखर सिंह के साला
स्वर्गीय कृष्णकांत सिंह भी
एक राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने
विभिन्न विभाग के मंत्री के
रूप में बिहार की सेवा की थी.
19
जुलाई
1976
को
पटना में चंद्रशेखर सिंह का
निधन हो गया.
उनके
पुत्र स्वर्गीय प्यारे बाबू
भी एक विचारक और चिन्तक थे.
1997 में
मेरठ के पास एक कार दुर्घटना
में उनका और उनके पत्नी की
असामयिक मुत्यु हो गई.
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